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Saturday, June 21, 2008

नही पलकें तुम्हारी भिगानी है

कुछ जग से पाया हुआ है
कुछ गम की कहानी है
कैसे सुनाऐं क्या है
अपनी कहानी पुरानी है
होंठ मुस्कराते हैं
फिर भी आँखों में पानी है 


खिलाता गुलजारे चमन है
पर दिल में विरानी है
समुन्द्र सी उफ़नती है 
पर मरुस्थली ये जवानी है  

आँखों में आँसू लाती है
ऐसी अपनी कहानी है
छोडो भी मन उदास होगा तुम्हारा
अपनी भी क्या सुनानी है
एहसान होगा हम पर तुम्हारा 
नही पलकें तुम्हारी भिगानी है

 pics from google 

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