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Tuesday, February 3, 2009

कहो कैसे मनाऊँ


तुम जो रुठे हो मुझसे कहो कैसे मनाऊँ
कोई गीत लिखूं या नैनों से नीर बहाऊँ
थी लबों पर सजी हँसी कैसे बुलाऊँ
खोई नैनों की चमक कैसे दीप जलाऊँ
ठहरी हुई चाल कैसे बाँकपन लाऊँ
तुम्हें बाहों में भरकर सहलाऊँ
या पलकें खोल हौले से समझाऊँ
हाथों में हाथ ले दौड़ी जाऊँ
या बिन कहे मुस्कान से कह जाऊँ
तुम्हारे इशारे बिन कैसे आस लगाऊँ
मैं हूँ तुम्हारी या अब पराई कहलाऊँ
हूँ सामने कबसे गुहार लगाऊँ
तुम जो रुठे हो मुझसे कहो कैसे मनाऊँ


3 comments:

  1. so sweet......khubsurat bas khubsurat

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  2. तुम्हारे इशारे बिन कैसे आस लगाऊँ
    मैं हूँ तुम्हारी या अब पराई कहलाऊँ
    हूँ सामने कबसे गुहार लगाऊँ
    तुम जो रुठे हो मुझसे कहो कैसे मनाऊँ ...hriday ke prem bhavo ki abhivykti ..sundar

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